धरती माता की कहानी | dharti mata ki kahani

Dasha Mata Ki Kahani , Dasha Mata Ki Katha

“नमस्कार दोस्तों, आपका मेरी website hindistorytales.com में स्वागत है। आज मैं आपको धरती माता की कहानी ( dharti mata ki kahani (katha)  सुनाने जा रही हूं। अगर आपको यह कहानी पसंद आए तो कमेंट बॉक्स में ‘धरती माता की जय’ अवश्य लिखें।

धरती माता के व्रत और पूजन का विशेष महत्व शास्त्रों और पुराणों में वर्णित है। धरती माता का व्रत और पूजन करते समय धरती माता की कहानी सुनी जाती है। जो भी व्यक्ति सच्चे मन से धरती माता की पूजा करता है, उसे पाप कर्मों से छुटकारा मिलता है। Dharti mata ki kahani सुनने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

बहुत समय पहले की बात है, किसी गांव में एक औरत रहती थी। उस औरत के पति की मृत्यु हो चुकी थी। उस औरत का एक बेटा और एक बेटी थी। वे लोग बहुत गरीब थे। वह औरत मजदूरी करके अपने बच्चों का पेट भरती थी। धीरे-धीरे समय बीतने लगा और बच्चे बड़े होने लगे। औरत बूढ़ी हो चुकी थी। तब उस औरत ने अपने बेटे से कहा, ‘बेटा, तेरी बहन के योग हो गए हैं, इसलिए अब उसकी शादी करनी चाहिए।’ कुछ दिनों बाद वह औरत मर गई।

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अब वह बेटा और बेटी अपनी बहन के लिए लड़का ढूंढने गांव-गांव में गए, लेकिन बहन के लिए पति नहीं मिला। वह घूम-घूम कर थक गया और सोचने लगा कि मेरे जैसा तो इस दुनिया में कोई नहीं है, इसलिए मैं ही इससे शादी कर लेता हूं। ऐसा सोचकर वह चुनरी और शादी के लिए सब सामान लेने गया। तब उसकी बहन ने पूछा, ‘तुम यह सब सामान क्यों लाए हो?’ तब भाई ने कहा, ‘यह सब तुम्हारी शादी के लिए लाया हूं।’ गांव वालों ने कहा, ‘तुम्हारा भाई तुमसे ही शादी करने वाला है।’

बहन ने अपने भाई से पूछा, ‘मेरी शादी किससे कर रहे हो?’ इस पर कोई जवाब नहीं दिया। तब वह समझ गई कि गांव वाले सही कह रहे हैं। उसने एक लोटे में जल, चुनरी और चप्पल पहनकर जंगल की तरफ चली गई। जंगल में चराने वालों ने उससे पूछा, ‘कहां जा रही हो?’ तो वह कुछ नहीं बोली और चुपचाप जंगल की ओर चली गई।

वह धरती माता को पुकारने लगी और बोली, ‘हे धरती मां, अब तुम्हें मेरी लाज रखनी होगी वरना अनर्थ हो जाएगा। मुझे अपनी गोद में ले लो।’ तब धरती फटी और बहन उसमें समाने लगी। इतने में उसका भाई दौड़ता हुआ आया और बहन को पुकारने लगा। चराने वालों ने कहा कि उसकी बहन धरती में समा चुकी है। भाई ने धरती माता से कहा, ‘माता, मुझे माफ कर दो। मेरे जैसा कोई नहीं मिला, इसलिए ऐसा विचार आया।’ ऐसा बोलकर वह जोर-जोर से रोने लगा।

धरती माता ने उसकी बहन को अपनी गोद में ले लिया। धरती माता की कहानी सुनने और कहने वालों को सभी सुखी रहना चाहिए। बोलो, धरती माता की जय!

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