Janmashtami Essay in Hindi

हमारे देश में अनेक महान आत्माओं ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने जीवन में अनेक हितकारी कार्य किए। इसलिए आज भी उनका स्मरण किया जाता है। (Janmashtami Essay in Hindi)

Janmashtami Essay in Hindi

श्री कृष्ण भी ऐसे ही अवतारी पुरुष थे। श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के पुत्र थे। उनका जन्म भादों मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था, अतः यह पावन दिन प्रतिवर्ष जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

अब बात करेंगे श्री कृष्ण की महानता की। कृष्ण के जन्म के समय मथुरा में क्रूर और अत्याचारी कंस का शासन था, जो श्री कृष्ण का मामा था। ज्योतिषियों ने उसे बताया था कि उसका भांजा ही उसका वध करेगा। अपने प्राणों के भय से उसने अपनी बहन देवकी और बहनोई वासुदेव को बंदी बना लिया था। इसी बंदी जीवन में श्री कृष्ण का जन्म हुआ।

श्री कृष्ण एक चतुर राजनीतिज्ञ, योगीराज, विद्वान, वीर योद्धा, देश उद्धारक, सच्चे मित्र, अनुपम दानी और सेवा भाव के आदर्श पुरुष थे। दुर्योधन की पराजय, कंस, जरासंध, शिशुपाल आदि का वध, अर्जुन को गीता का उपदेश, गरीब ब्राह्मण सुदामा की सहायता आदि कार्य श्रीकृष्ण की महानता को प्रकट करते हैं।

बात करते हैं जन्माष्टमी के आयोजन की। जन्माष्टमी के दिन लोग दिन भर उपवास करते हैं, मंदिरों में सजावट की जाती है, रासलीलाएं होती हैं। इस अवसर पर श्रीकृष्ण की झांकियां देखने जाते हैं। मंदिरों एवं बाज़ारों में काफी चहल-पहल होती है। जन्माष्टमी का पर्व श्रीकृष्ण के जन्म स्थान गोकुल एवं वृंदावन में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। अन्य स्थानों की तुलना में यहां कुछ अधिक ही उत्साह दिखाई देता है। भक्तजन दिन भर उपवास के बाद अर्धरात्रि में श्रीकृष्ण के जन्म के समय मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं, और प्रसाद बांटा जाता है।

अंत में, श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हमें अपने कर्तव्यों को पूरा करने, बिना किसी इच्छा के कर्म करने, एवं समाज में उच्च आदर्श स्थापित करने की शिक्षा देता है। हमें श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेकर सच्चा मित्र और लोक हितकारी बनने की कोशिश करनी चाहिए। धन्यवाद! जय श्री कृष्ण!

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