आज हम हिंदी निबंध “समय का महत्व”(Samay Ka Mahatva Essay in Hindi) पढ़ेंगे । समय का मूल्य पहचानते हुए सभी का मानना है कि बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता। समय के आधार पर यह भी सच है कि खोया हुआ धन पुनः अर्जित किया जा सकता है, खोया हुआ वैभव प्राप्त किया जा सकता है, उचित चिकित्सा और संयम से खोया हुआ स्वास्थ्य फिर से ठीक किया जा सकता है, और अभ्यास के माध्यम से भूली हुई विद्या पुनः प्राप्त की जा सकती है। किंतु एक बार खोया हुआ समय फिर से पाना संभव नहीं है क्योंकि यह निरंतर गतिशील है। हमें हमेशा समय का सदुपयोग करना चाहिए क्योंकि जो समय एक बार चला जाता है, वह फिर वापस नहीं आता।
कुछ विद्यार्थियों का सोचना होता है कि परीक्षा में अभी काफी दिन बाकी है, मैं कल से पढ़ाई शुरू करूंगा। किंतु परीक्षा निर्धारित समय और तिथि पर ही होती है। परीक्षा में प्रश्नों को देखकर उन्हें लगता है कि यदि उन्होंने समय का सही उपयोग किया होता, तो परीक्षा हॉल में खाली समय बैठना नहीं पड़ता। इसलिए कहा गया है कि स्वर्ण के प्रत्येक कण की तरह ही समय का प्रत्येक क्षण मूल्यवान है।
प्लेटफार्म पर खड़ी रेलगाड़ी अपने यात्रियों की प्रतीक्षा नहीं करती और देर से पहुंचने वाले अफसोस करते रह जाते हैं। समय भी किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। इसे समुद्र की लहरों के साथ तुलना की जा सकती है, क्योंकि समय और समुद्र की लहरें किसी की प्रतीक्षा नहीं करते। मानव जीवन में समय की महत्ता को समझाने के लिए प्रकृति में भी उदाहरण भरे पड़े हैं।
कभी-कभी बरसात के मौसम में बारिश इतनी देर से शुरू होती है कि खेतों में लगी फसलें सूख जाती हैं। ऐसे में, बारिश का भी कोई लाभ नहीं होता। यानी कि समय रहते अगर बारिश नहीं होती, तो अच्छी फसल भी नहीं हो पाती।
समय के सदुपयोग में ही जीवन की सफलता का रहस्य निहित है। राजा हो या रंक, मूर्ख हो या विद्वान, समय किसी के लिए अपनी गति धीमी नहीं करता। इसलिए सबको जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए समय का सदुपयोग करना ही पड़ता है। आज तक जितने भी महापुरुष हुए हैं, उनकी सफलता का रहस्य जीवन के हर पल समय का सदुपयोग ही रहा है। कठिनाइयों और संघर्षों का सामना करते हुए निरंतर अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे हैं और एक दिन अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हुए हैं। समय के मूल्य को समझने वाले लोगों की दिनचर्या हर रोज सुबह से शुरू होती है।
बुद्धिमान व्यक्ति अपने अवकाश के समय को कभी भी व्यर्थ नहीं जाने देते, किंतु आलसी और अकर्मण्य लोग देर तक सोए रहते हैं। इस विषय में जवाहरलाल नेहरू ने कहा है, “समय के माप बीते वर्षों से नहीं की जाती, बल्कि इससे की जाती है कि कोई उस अवधि में क्या करता है, कैसा महसूस करता है और क्या प्राप्त करता है।
जीवन में प्रत्येक कार्य के लिए नियत समय निर्धारित होता है। पढ़ने के समय पढ़ना चाहिए और खेलने के समय खेलना चाहिए। कक्षा में बैठकर खेलकूद की बातों में खोए रहना और खेल के मैदान में पढ़ाई-लिखाई की बातें करना तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता। प्रतिदिन खुश रहने के लिए काम के समय काम करना चाहिए और खेल के समय खेलना चाहिए। समय को व्यर्थ न करके सही समय का उपयोग करना चाहिए। समय व्यर्थ न करके अगर हम आगे बढ़ें, तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
दिन भर काम करने के बाद रात में सही समय पर बिस्तर पर सोने के लिए चले जाना चाहिए। कुछ देर से सोने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। रात में देर से सोने के कारण सुबह देर से उठने पर भी कई कार्य अधूरे रह जाते हैं। अधिकतर लोगों को अपना समय मनोरंजन में व्यतीत करते देखा जाता है। मनोरंजन भी जीवन के लिए अनिवार्य है, किंतु काम करने के समय यदि मनोरंजन किया जाए, तो उसे किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं माना जा सकता।
किस समय क्या कार्य करना है, अपनी दिनचर्या में इसकी समुचित व्यवस्था करना अत्यंत आवश्यक है। जिस मनुष्य का कार्यक्रम सुनिश्चित नहीं होता, उसका अधिकांश समय व्यर्थ में ही इधर-उधर की बातों में बीत जाता है।
मानसिक वृत्तियों को स्पष्ट और संयमित कर: जो व्यक्ति अपना निश्चित कार्यक्रम बनाकर मानसिक वृत्तियों को स्पष्ट और संयमित कर कार्य करता है, उसे जीवन में अवश्य सफलता प्राप्त होती है। यह नियम प्रत्येक आयु वर्ग के व्यक्ति पर लागू होता है, किंतु विद्यार्थी जीवन में इस नियम की सर्वाधिक महत्वता रहती है। जो विद्यार्थी नियत समय में पूर्ण मनोयोग के साथ अपनी पढ़ाई करते हैं, उन्हें सफलता अवश्य प्राप्त होती है।
समय का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि समय के बीत जाने के बाद अफसोस करने से बीता हुआ समय कभी भी वापस लौटकर नहीं आ सकता है।
शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए समय पर सोना चाहिए, समय पर उठना चाहिए और भोजन, व्यायाम तथा अन्य कार्यों को सुनिश्चित ढंग से समय पर करना चाहिए। दानों को जमा कर रखा जा सकता है, किंतु समय को जमा कर कभी नहीं रखा जा सकता। समय का सदुपयोग करने से मनुष्य की व्यक्तिगत प्रगति तो होती ही है, उसके व्यक्तित्व में भी निखार आता है। जो समय का सदुपयोग करता है, वही आज के समय में बुद्धिमान मनुष्य है।
परिश्रमी व्यक्ति के पास कभी समय का अभाव नहीं होता, जबकि आलसी और कमजोर व्यक्तियों का जीवन बेतरतीब, निरुद्देश्य भ्रमण आदि निरर्थक कार्यों में बीतता है। आलस्य का परित्याग कर समय का सदुपयोग करने वाले व्यक्ति ही साहित्य के सृजक, राष्ट्र के नेता, महान वैज्ञानिक और कलाकार बन पाते हैं। धन अर्जित करने के लिए भी समय की महत्वता होती है। धन कमाने वाले की तरह, विद्या कमाने के लिए भी समय का हर क्षण कीमती होता है।
जो लोग समय का सदुपयोग नहीं करते, उन्हें जीवन में असफलता ही हाथ लगती है। खिलाड़ियों को समय रहते खेल का अभ्यास करना पड़ता है, अन्यथा खेल खत्म हो जाने के बाद उनके लिए अफसोस करने के अलावा कुछ भी शेष नहीं रहता। इसलिए अंग्रेजी में कहा गया है, “Time is money,” अर्थात समय ही धन है। जो इस धन को यूं ही लुटाता रहता है, वह एक दिन समय का सदुपयोग न करने के कारण पछताता रहता है।
इसलिए समय की महत्ता को देखते हुए हमें इसके सदुपयोग पर ध्यान देना चाहिए। समय का सदुपयोग एक निश्चित दिनचर्या से ही संभव है। मनुष्य जीवन ईश्वर की दी हुई नियमत है, इसलिए इसे अपने लिए और दूसरों के लिए सार्थक बनाना ही मनुष्य का धर्म है। और मनुष्य अपने इस धर्म का निर्वाह तभी कर सकता है, जब वह समय की गति को समझे और उसका सदुपयोग करे। मनुष्य का जीवन प्रतिदिन एक लघु जीवन है तथा हमारा संपूर्ण जीवन सिर्फ एक ही दिन की पुनरावृत्ति है। इसलिए हमें एक दिन को इस प्रकार जीना चाहिए जैसे कि समय का एक पल भी नष्ट न हो।